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एक असम्भव प्रेम गाथा एक वैशया कन्या की असंभव याचिका।।भाग २
रूहम् किम् कुल जन्मा तथा किम् योनीयम् धारणा तथा किम् गऋहमआ कर्मा बीच भोवन्तु।। समसत्रा जन्मा सफलम् भवताम् भवति यद्यपि सा रूहम् योनिम् कादामि भृमणायष भवति यद्यपि एकाह पापम् भागीदारयति भवति।। यद्यपि बहुविकल्पी पुनयम अरजिता भवति परंतु एकाम् पापम् भागीदारयति भवति सा नष्टाम् पूर्णतः सहमत पुनम् भवति परंतु यद्यपि श्रीकृष्णनम् परदानम् सा रूहम् सा श्री कृष्ण दीवानी भवति सा रूहम् यद्यपि पुरस्कारित सममानम् सा स्वर्गम लोका प्राप्ति भवताह किंतु सा रूहम् लालश्यामि भवति सा कादामि पत्राणि बैकुंठधाम फलम् प्रराति भवताह।। यद्यपि श्रीकृष्णनम् दीवानी रूहम् दंडित स्वरुप श्रापम् परदानम् भवति सा त्वम रूहम् यद्यपि भृमाणायष भवतामि यद्यपि त्वम रूहम् इच्छुक मुकत्यत भवताह।। एकाह जानम् भवति सा कदामि नामकरण संस्कार प्राप्ति भवताह।।
किंतु त्वम रूहम् यद्यपि त्वम जीवनाह समर्पिताह
सवायमाह कुलाह चित्रण कार्य रचिति भवति सा त्वम रूहम् इच्छुकाह समाप्ति भवति सा सौर्य रूहम् छवि यद्यपि साही कुलाह चित्रणी भवतामि सा कुलाह चित्रण विचारम् शैली यद्यपि परिवर्तनाह भवति।। पशनम् कुरूवनति है सा रूहम् यद्यपि कार्यम् सफलम् भवतानि यद्यपि सा रूहम् असफलमाह भवति।।
यद्यपि श्रीकृष्णनम् परशनम् दृश्यन्ति सा दिवानी रूहम् हृदयम् उगम् उत्राणि परकृटाह श्रीकृष्णनम् शमकशा परसतुताह भवतानि।।
यद्यपि प्रश्ननम् उगयति सा श्रीकृष्णनम् किम् परशनम् उतत्राणी अपेक्षा सा कन्या रूहम् अपेक्षा भवतानि।।

श्रीकृष्णनम् वार्तालाप संवाद भवताह सा दीवानी रूहम् संग भवताह प्रश्र दीवानी त्वम रूहम् किम् योनीयम् इचुकाह।।
दीवानी -मौनाह भवति साहीब ऐ सुन्दरी हसीना क्या इचुकाह भवनति जब समसत्रम् श्रृष्टि योनीयम् तवम् निर्धारित रीताह।।
श्रीकृष्णनम् परेमातमक भाव यद्यपि त्वम किम् तेयोनिम् सा त्वम समानाह तथा शुक्रिया भवतानि यद्यपि सा त्वम रूहम् करमा यथासंभव नषटानि भवतामि।।

प्राप्त योनिम् बनधाह कवचमं श्रोतमाह मोकमाह सा श्रीकृष्णनम् रूहम् प्रदानम् भवतामि यद्यपि त्वम रूहम् सफलाहलामि शुरछिता कवचमं श्रोतमाह मोकमाह उपाय यद्यपि सा रूहम् योगयम् बैकुंठधाम फलम् मोक्षम् फलम् स्वारूप प्राप्ति भवति।।


यद्यपि श्रीकृष्णनम् शुनिशचिताह सा कन्या रूहम् किम् माटी धारनम् सा कौनाह कुलाह कन्या रूहम्
अरदासा भवति सा अरदासा कुरूवनति।।

यद्यपि श्रीकृष्णनम् शुनिशचिताह तवम् रूहम् योनिम् सवादीषटा किम् भवाताह यह तो केवलम् त्वम रूहम् योनिम् कर्मा बीच दृश्यन्ति।।-श्रीकृषण कन्या रूहम् वार्तालाप संवाद भवताह।।

कन्या योनीयम् कर्मा बीचम् यात्रा प्रारंभ भवतामि भवताह सा श्रीकृष्णनम् सा दृशशि सा रूहम् भृमणाम् स्वीकारम् पीडनम् स्वीकारम् यद्यपि सा किम् रूहाम् योनिम् सवादीषटा तथा संभावित यद्यपि श्रीकृष्णनम् रूहम् जन्मा निशचिताह सा एकाह बालिका।
यद्यपि बालिका एकाह जन्मा कुरुवनति कुलाहपराभावी जो मनबदध थी जो एक असुखिनी नाषिका के नाम से जानी जाती थी जो कि लकड़हारे की स्वामिनी होते हुए भी एक यत्रीका तान्त्रिक की दासी जा बनी भूलवरष ऐसा हुआ था।।

क्योंकि वो महा तान्त्रिक पडेका नाथन मैकुलम रास एक महाविशाल और महाविनाषी था जो किसी नर नारी को अपने वष में करके उनसे बलिया करवा लेता था।। तथा जो लकड़हारे के ससुर थे वो एक सड़का वासी थे जो एक जादूगर थे। मगर उनकी धर्मपत्नी श्रीमती शिलापानवी मनु सिंघवी धरा जो कि कलियुग दुर्भाग्य वर्षीय कन्या बोली जाती उसके अपने कुल में।।

श्रीकृष्ण मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यह बाता रहे यह वो समय जहा सत्री अपनी योनि का खंडन करते हुए मरियादा नाग कर अपनी योनि का वीर्य किसी अन्य व्यक्ति के गुप्त संग्रह पर मैल कर बहक जाती हैं यद्यपि स्त्री अज्ञातवासाह भवताह सा भृमणाम् सा योनीयम् रूपेडषय भृमाणायष रचयति भवताह।

जहां नरा भगनति रूपम् पिछाणी तथा सत्रीयाम् प्यासा धनम् भोगाह तहा प्रेम जरमा कदामि स्वीकारस्ह तथा एकाह असम्भव प्रेम गाथा कादामी मोक्षम् फलम् योग्यता प्राप्त भवताह यद्यपि जरमा सुखम कादामि एकाह रूहम् प्राप्ति भवताह।।




यद्यपि कन्यायम् यह जन्मा भ्रमण यात्रा लेखिका अनेका दृश्यन्ति फार कनयम् रूहम् भवताह जैसे -
बिशाकी श्रेतवनदना यौनवी सभोगकी सरोचितत्रा समोहनी भृमणी । आदि नामों से प्रसिद्ध हुई वो वैशया मगर इस अनेका बहुविकल्पी साथनम् चुनाव में उसे जो स्वर्ग प्राप्त हुआ था वो भी नष्ट हो जाता है और वो फिर से भ्रमण कर रही हैं और यह पूर्ण ना होने के कारण बैकुंठधाम फलम् प्रराति कादामि प्राप्ति भवताह यथा संभव है यह कहना मुश्किल नहीं है कि यह एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त है एक वैशया और अन्य की।।
#एक असंभव प्रेम गाथा अनन्त है समापन समारोह।
#कुजी एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त प्रमुख पात्रति भवतानि भवन्तु।।
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