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मेरी आखरी मुलाकात... उनसे...!!!
आज मैं पहली बार सबसे पहले उठा; सुबह के कुछ पांच बजे! वैसे सोया ही कौन था? सुबह उनसे मिलने के ख्वाब ने ही नींद उडा रखी थी। ये मेरी ज़िंदगी का पहला ऐसा दिन था जब अलार्म की टीक टीक और मम्मी की कीट कीट से पहले उठा हूं। क्योंकि हररोज सुबह तो अलार्म ही रखता था, साढ़े सात से आठ बजे के बीच पूरे सात अलार्म रखें थे, हर पांच मिनट के बाद एक। और फिर उठाती तो मम्मी ही थी जब वो डांट कर चिल्लाती, "दस बज गए हैं" जबकि बजे तो सिर्फ सवा आठ ही थे। लेकिन आज, आज का दिन कुछ खास ही था।

मैंने जल्दी से नाह तो लिया था पर बात रुकी रेडी होने में; नहीं नहीं, कपड़ों का सिलेक्शन तो कल रात को ही हो चुका था, देरी तो कपड़े पहनने के बाद पचास बार अपने आप को आईने में देखता रहा उसमें हुई। सचमें, इतना खूबसूरत मैं कभी नहीं लगा था। परफेक्ट हेर स्टाईल, क्लिन शेव, उनके फेवरेट रंग ब्लु में मेरा फेवरेट शर्ट, ब्लेक पेंट, वेल पोलिश्ड शुझ और ढेर सारा पागलपन। पागलपन ही ना, वर्ना अपने आप को देखकर इतना कौन मुस्कुराता है?

ख़ैर, जैसे तैसे करके मैं कोलेज पहुंचा। वहां से हमें बाहर जाना था, डेट थी जो हमारी... सीसीडी में कोफी पी, फिर पासवाले गार्डन गए। करीब दो घंटे बाद मुझे याद आया कि मैं उन्हें चोकलेट देना तो भूल ही गया! ३ सबसे बड़ी वाली सिल्क ली थी मैंने, तीनों उनकी फेवरेट। चोकलेट के लिए उनका प्यार कुछ और ही लेवल का था, हमारी तो कई बार चोकलेट की वजह से झगड़े भी हो चुके थे। लेकिन, लेकिन आज उन्होंने चोकलेट साईड में रखके फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया। मुझे वो सिर्फ ताकतें ही रहे। तहज़ीब में उन्होंने पी.एचडी. की थी, लेकिन आज उनसे "थेंक यू" नहीं सूना। हम दोनों इनकी वजह जानते थे। उन्होंने अपना सिर मेरे कंधे पर रखा, और हम दोनों कल शाम की वारदात में खो गए। कल शाम का पूरा सीन हमारी आंखों के सामने आ गया।

कल मैं उनके घर गया था; अंकलजी से उनकी बेटी से उनका हाथ मांगने... आंटीजी ने साफ साफ मना कर दिया, मैं दूसरी बिरादरी का था ना। वैसे हम दोनों जनरल कास्ट के थे लेकिन सेम कास्ट के नहीं थे। हमारी रिलेशनशिप का पहला और आखिरी रुल यही था कि अगर हमारे पेरेंट्स में से किसी एक ने भी मना किया तो हम एक-दूसरे से शादी नहींं करेंगे, क्योंकि हमारे लिए हमारे पेरेंट्स से बढ़कर हम खुद भी नहीं थे। मैं 'नमस्ते' कहकर वहां से चला गया और घर पहुंचा उससे पहले एक एसएमएस आया हुआ था, उसका, कि "कल सुबह ९ बजे, आखरी बार, प्लीज़?" मैंने सिर्फ "ओके" लिखकर रिप्लाई कर दिया।

आज पूरा दिन साथ में बिताना है; बिना कुछ बोले, बिना कुछ सोचे, बस, सिर्फ अपने हाथों में उनके हाथ, एक-दूसरे के कंधे पे सर और ढेर सारी प्यारी यादें। आज हमारा सबसे बेस्ट दिन था, एक-दूसरे के फेवरेट आउटफिट में थे और एक-दूसरे के लिए पागल तो पहले से ही थे। यही थी मेरी आखरी मुलाकात... उनसे...!!!