...

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खिलौना ( खेल दिलों का )
संभल कर रहना ए दिलों से खेलने वालें
सब नहीं होते हमारे जैसे झेलने वाले

दिल तोड़ते - तोड़ते कहीं हाथ ना छिल जाएं
यें खेल जों तूं खेल रहा है

कहीं इसमें तुझे तुझ जैसा ना मिल जाएं
पछताएगा जब तूं इस खेल से रूबरू होगा

ठोकर खाकर जब तूं वापस आना चाहेगा
यें दिल खुशी -खुशी फ़िर तुम्हारे इस खेल को
खिलौना बन स्वीकार नहीं कर पायेगा

यादें भले आज़ भी तेरी ज़हन में जिंदा है
लेकिन वक्त अब पहले जैसा रहा नहीं

शोर बेहद करतीं हैं तेरी यादें अंदर ही अंदर
लेकिन लबों पर खामोशी आज़ भी बरकरार है

चाह तुझ संग सफ़र कि रखीं थीं
मगर तन्हा सफ़र से आज़ मुझे ऐतराज नहीं

चाहत तुझे नज़रों में रखने कि
नजर‌अंदाज करना भी तूने बखूबी सिखा दिया

राहें आज़ भी वही सफ़र करती है
तनहाई मुक्कमल साथ मेरा देती है


❤️✨

पलक शर्मा

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