शायरी
वे खुबसूरती के गुमान में थे
हम दिल के इम्तिहान में थे
वे खुबसूरती के गुमान में थे
हम दिल के इम्तिहान में थे
गुरूर टूटा अपना तब
जब ,वे अपनी शान में थे
ये तो हमारी रही
हमने क्या कुछ न सहा
बात जब उनकी करें
कोई परवाह कहां?
जो मुहब्बत न होती
तो बतला देतें
बात अब दिल की है
क्या सजा देते?
उनकी तड़प में भी
मर्ज तो अपनी ही है
दर्द उनको देना
खुदकुशी सी है
अपनी सोहबत का असर
जो हो पाया कभी
वो समझेगा शायद
जब हम होंगे ही नहीं।
जारी......
© geetanjali
हम दिल के इम्तिहान में थे
वे खुबसूरती के गुमान में थे
हम दिल के इम्तिहान में थे
गुरूर टूटा अपना तब
जब ,वे अपनी शान में थे
ये तो हमारी रही
हमने क्या कुछ न सहा
बात जब उनकी करें
कोई परवाह कहां?
जो मुहब्बत न होती
तो बतला देतें
बात अब दिल की है
क्या सजा देते?
उनकी तड़प में भी
मर्ज तो अपनी ही है
दर्द उनको देना
खुदकुशी सी है
अपनी सोहबत का असर
जो हो पाया कभी
वो समझेगा शायद
जब हम होंगे ही नहीं।
जारी......
© geetanjali
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