...

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' तहरीर ''
🍫🌹🌸💐 ( 1) 💐🌸🌹🍫

अब क्या सारी दुनिया को आजमाना,
तुम्हे देख लिया तो देख लिया ज़माना.

जब हर दर्द खुद को ही सहना है,
ज़ख्म किसी को, फ़िर क्या दिखाना.

नसीब में ही लिखा था रोना मेरे,
जो बीती उसे याद कर क्यों पछताना.

कोई साथ देता नहीं किसी का,
रो रो कर, दुनिया सर पे, क्या उठाना.

कौन यहां जीता है किसी के लिए,
यही अच्छा है खामोशी से मर जाना.

🍫🌹🌸💐 (2)💐🌸🌹🍫

अब, तन्हाई में, क्यू हमे वो, याद करते है.
क्यू हमसे मिलने की वो फरियाद करते है.

मेरी याददाश्त है कमजोर तुझे याद होगा,
तुने ही कहा था जा तुझे आज़ाद करते है.

उफ याद कर करके वो अपनी मुलाकाते,
खामखा, अपने दिल को नाशाद करते है.

होशियार तो चले जाते है जी मुंह फेरकर,
नादां तो, खुद को इश्क में बर्बाद करते है.

भूल, जाने में ही, भलाई है, अब दिल की,
बीती यादें तो दर्द की और ईजाद करते है.


© एहसास ए मानसी