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एकांत वार्ता-2 (सुख की चाह)...✍️✍️✍️
सभी पाठकों को राधे-राधे 🙏
सुख की चाह सभी सांसारिक
प्राणियों को होती है।
कोई धन दौलत में सुख तलाशने की
कोशिश करता है तो कोई भोग
विलास में सुख तलाशने की
कोशिश करता है।
परंतु अंत में उसे निराशा ही
हाथ लगती है।
जो भी हमें सुख दुख की प्राप्ति होती है
वह हमारे कर्मों से होती है अगर
हमारे कर्म शुद्ध और अच्छे होंगे
तो हमें सुख की प्राप्ति होगी
और इसके विपरीत हमारे कर्म बुरे
और खराब होंगे तो हमें दुख
भोगना ही पड़ेगा इसे कोई नहीं
टाल सकता है यह सृष्टि का नियम है
की जिसने जैसा बोया है
वो वैसा ही कटेगा।
हमारे कर्म हमारा पीछा कभी
भी नहीं छोड़ते हैं।
हम सांसारिक वस्तुएं और सांसारिक
लोगों से तो प्रेम कई वर्षों से करते
आ रहे हैं परंतु हमने आज तक
भगवान से प्रेम नहीं किया है।
जिन चरणों में वास्तविक सुख है
हम उन्हें चरणों से दूर रहते हैं
उन्हीं के नाम से दूर रहते हैं
उन्हीं के दर्शन से दूर रहते हैं।
वास्तविक सुख तो तो भगवान
के शरणागत होने से मिलता है
श्री राधा रानी के चरणों में जाने
से मिलता है।
जब हम भक्ति करते हैं तो
हमारे ऊपर भगवान की कृपा
बरसती है और हमें परमानंद की
प्राप्ति होती है जिसे हम संसार में
ढूंढ रहे थे।
वह सुख तो अपने ही भीतर है
इस बात का भी हमें बोध होता है
और हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है।
इसीलिए सुख दुख की चिंता
ना करके बस आप भगवान के
शरणागत हो जाइए।
उनके कीर्तन उनकी भक्ति
उनके सत्संग में लीन रहिए
फिर देखिए आपको ऐसे आनंद
की प्राप्ति होगी जो कभी
समाप्त नहीं होगा।
एक बार किशोरी जी के चरणों
का आश्रय लेकर तो देखिए।
फिर आपको किसी के प्रेम, किसी
के सहयोग की आवश्यकता नहीं।
आप खुद इतने सामर्थ्यवान बन जाएंगे
की हर परिस्थिति से हंसते
हुए निकल जाएंगे।




© Shaayar Satya