...

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एक पत्र तुम्हारे नाम
हे मेरे प्रिय
जब से मैंने ये बात स्वीकार कर ली कि
मुझे तुमसे प्रेम है तब से ये मेरी ज़िम्मेरदारी बन गई कि मैं इस बात
की गरिमा को बनाए रखूं....
इस बात से कोई भी फर्क नहीं पड़ता कि मैं कहां हूं, कैसी हूं, व्यस्त हूं या फिर खाली हूं.... तुमसे प्रेम करना, तुम्हें याद करना, तुम्हारी फिक्र करना और तुम्हारी सुध लेना मेरी ज़िम्मेदारी है और यह मैं अपनी अंतिम सांस तक करूंगी।
ये सब करके मैं... नाहीं मैं तुम्हें बांधने का प्रयास करूंगी, नाहीं तुमपे अपना हक जताने का प्रयास करूंगी और नाहीं तुम पर जिम्मेदारियों का बोझ डालने का प्रयास करूंगी....
ये सब तो मैं अपनी खुशी के लिए करूंगी....
तुमसे प्रेम करने के लिए मुझे किसी खास पल का इंतज़ार करने की कोई आवश्यकता नहीं क्योंकि तुमसे प्रेम करने से ज़्यादा खास कुछ भी नहीं।
तुम मुझे जब भी पुकारोगे... मुझे तुरंत अपने समीप ही पाओगे
मेरे कार्य, मेरी परेशानियां, मेरी व्यस्तता और मेरी जिम्मेदारियां हमारे बीच कभी बाधा नहीं बनेंगी।
मेरे पास तुम्हारे लिए सबकुछ.. अथाह है
इसलिए नहीं की मैं सदैव खाली हूं बल्कि इसलिए... क्योंकि तुम मेरी जिंदगी का एक खूबसूरत और महत्त्वपूर्ण हिस्सा हो।

© Sarika