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"समय से परे एक इश्क़" भाग-३
सुबह दीपाली जल्दी तैयार होकर आफिस चली गई। दफ्तर से सीधे वो घर आई और नहाने चली गई।फ्रेश होकर वो तैयार होने लगी और उसने एक सुंदर सा घाघरा और चोली पहनी सर पर उसने हरा दुपट्टा लिया जो उसके हरे घाघरे के साथ मेल खा रहा था। फिर पैरों में मोगरे डालें और लगभग दौड़ते हुए दीपक के लैब में पहुंच गई, दीपक पहले से ही उसके इंतजार में था। फिर जल्दी से वह उस कुर्सी में बैठ गई जिसमें बैठते ही वो पिछली सदी में जा सकती थी और कुछ ही क्षणों में वो महल के सामने थी।अब तक सब उसे पहचान चुके थे इसलिए किसी ने कोई आपत्ति नहीं जताई और वह सीधे महल में प्रवेश कर गई।
‌‌ आज उसे एक दूसरे कक्ष में पहुंचाया गया जहां महराज अपनी रानियों के संग विराजमान थे। दीपाली ने देखा महराज की सभी रानियां बहुत सुंदर है और जो उनके समीप बैठी थी वो सबसे छोटी रानी लगती थी क्योंकि उसकी उम्र कम थी।खैर महराज ने उसे गाना सुनाने की आज्ञा दी,आज महराज के साथ इस कक्ष में कुछ वाद्ययंत्र बजानेवाले भी थे। दीपाली ने गाना आरंभ किया। फिर दूसरा गीत फिर तीसरा बहुत समय बाद महराज ने तालियां बजाकर उसका अभिवादन किया और उसे एक सुंदर सी स्वर्ण अंगूठी अपने हाथों से खोलकर दे दी। दीपाली ईनाम पाकर बहुत खुश हुई और दूसरे दिन आने का कहकर महराज से आज्ञा ली।
अब तो ये रोज रोज का सिलसिला बन चला था और धीरे-धीरे दीपाली ने ये अनुभव किया कि महराज भी उसकी ओर आकर्षित होने लगें हैं। इधर वो तो पहले से ही थी।एक दिन महराज ने जब वो गाना सुनाकर महल से जाने लगी तो उसे अपने कक्ष में बुलाया। वहां जब वो पहुंची तो महराज उससे प्रणय निवेदन कर बैठे। दीपाली का शर्म से मुख लाल हो गया फिर वो धीरे से बोली महराज आप तो पहले से ही विवाहित हैं!! सुनकर महराज हंस दिए और बोलें हां तो महराजाओं की ‌ये परम्परा होती है कई रानियां रखने की, वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि हमारी प्रथम दो रानियां युद्ध में जीती हुई है और सबसे छोटी रानी को हमारे एक मित्र ने हमसे आग्रह किया था कि हम उनसे विवाह कर लें इस प्रकार वो हमारी रानी बनी।आप प्रथम है जिनके नैनों में डूब जाने को जी चाहता है। दीपाली मूक सी सर झुकाए खड़ी रही तो महराज ने पूछा क्या आपको हमारी रानी बनना स्वीकार है? दीपाली ने सर झुकाए हांमी भर‌दी।
इधर जब वो घर आई तो बखेड़ा खड़ा न हो इसलिए वो चुप रही और उसने किसी से कुछ नहीं कहा।
दूसरे दिन जब वो टाईम मशीन के कुर्सी पर बैठने जा रही थी तो मन ही मन एक फैसला ले चुकी थी।
आखिर दीपाली ने क्या फैसला लिया। क्या उसका फैसला उचित है क्या उसके इश्क फर उसके घर वाले सहमति देंगे? जानने के लिए इस कहानी का अगला भाग अवश्य पढ़ें।
लेखन समय- 2:40- दिनांक 20.4.24- शनिवार


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