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बचपन
यह कुछ बचपन की कहानियां है।जिसे दिल बार-बार सुनना चाहता मगर अब वह सुनाने वाले लोग नहीं रहे।यह दिन बार-बार अपनी बचपन की गलियों में जाना चाहता है। जहां जाना हो मुमकिन नहीं होता। यह बीती हुई बीते हुए दिनों की कल्पना है बहुत ज्यादा करता है जी चाहता है कि हम वही खुशियां फिर से मिले जो हमें बचपन में मिली थी मगर ये कभी भी संभव नहीं होता पाता है,मगर हम चाहे तो उसे बचपन की तरीके से जी सकते हैं लेकिन वह बचपना वह बचपन लौट कर नहीं आएगा। कोई अपनी बाहों में सुला कर लोरी नहीं सुनाएगा। कोई अपने आंचल में सुलाकर प्यार नहीं करेगा। जिंदगी के कई मोड़ को हमने पीछे छोड़ा है और अब जिंदगी में एक कदम और आगे बढ़ने की जरूरत होती है। इंसान हमेशा उन्हीं खुशियों को ढूंढता है और परेशान हो जाता है अगर हम कोशिश करें तो हम खुश रह सकते हैं लोगों को खुश रख सकते हैं । हम हमेशा ही एक नये दिन आस और पुराने दिन के बीत जाने का गम नही करेंगे और बस आज को सबकुछ समझकर जिऐंगे, तो हम जीवन बहुत खुश रह सकते है और लोगो को खुश रख सकते है।
© प्रभु