ब्राम्ह पार्ट 1
एक छोटे से गाव में एक बहुत ही सभ्य और साधारण ब्राह्मण परिवार रहता था मां बाप और १० साल का एक छोटा किंतु बहुत ही ज्ञानी और तेजस्वी बालक रहता था ये बात उस समय की है जब लोगों का ब्याह बहुत छोटी सी उम्र में ही हो जाता था परंतु दुल्हन की विदाई कुछ सालो बाद होता था ऐसे ही उस बालक का विवाह भी एक सुंदर और गुनी कन्या से हो गया जो भगवान में काफी सर्धा रखती थी तो जैसा की हमने बताया की विदाई कुछ सालो बाद होती थी तो इनकी भी विदाई का समय बहुत लम्बा रखा गया इस दौरान लड़के के पिता की मृत्यु हो जाती है तो लड़की भी अपने पिता के साथ वहा पहुचती है सरा क्रया करम पूर्ण होने से पूर्व ही आस पास के लोगों ने उनको सताना सुरू कर दिया जैसे तैसे सब कुछ निपट गया तो लोगों ने उनकी जमीन पर कब्ज़ा कर लिया अपनी जमीन को छूडाने के लिए उस लड़के ने आपनी जमीन पर ही भोजन पानी सब त्याग कर अनशन करने का फैसला लिया और ये तय कर दिया की उसी स्थान पर वो समाधि धारण करेंगे और अपनी पत्नी को मां की सुरक्षा दे कर उसे दोबारा अपने पिता के घर जाने से मना किया अब जब ये तय था की उनका मरना निश्चित है तो मां ने फिक्र जताते हुए कहा कि अगर तुझे कुछ हो गया तो भला हमारे कुल का नाम कैसे चलेगा तो उस लड़के ने कहा की यदी पंच सहमत हो तो मेरे तप के प्रभाव से मेरी पत्नी को मेरे मरने के पश्चात पुत्र की प्राप्ति होगी किंतु यदि कोई मेरी पत्नी के चरित्र पर उंगली न उठाए तो क्यों की मेरी पत्नी एक सती है परंतु लोगों को उनकी ये बात बिलकुल पसंद नहीं आई तो वो बोले की मां तू चिंता मत कर तेरे कुल का नाम मेरे नाम से चलेगा मैं मर कर भी जीवित रहूंगा और कुछ दिनों के बाद उन्हों ने उसी जगह अपनी देह को त्याग दिया
© Rupali Shrivastav
कहानी पंसद आये तो comment कर के बताये आगे की story कल तक post करेंगे जरूर धन्यवाद 😊😊😊🙏🙏🙏🙏🙏
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