...

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मोहक कलरव
सामने आम के पेड़ पर आ बैठते
वे पक्षी सुबह शाम गोया की वह
उनका घर ही हो, करते जाने क्या
और कैसी कैसी बातें थकते भी नहीं थे
उनकी बातों में अक्सर मधुरता होती
पुकार होती और कभी चिड़ बिड़ चिड़ बिड़
होती झगड़ पड़ने की अदाएं
किंतु उनमें भरी मिठास कभी कम
नहीं होती उनकी एकता ही कहा
जाए कि किसी भी खतरे भरी आहट
को सुन फुर से सारी सारी उड़ जाती
किंतु उनको मैं जब भी ध्यान से देखता
वे मुझे सदैव सम्मोहक निकलंक और
मेरे मन को खिंच लेने में सक्षम होती
और कूकती प्यार से भरी लम्बी सीटी
मारती सी आवाज में मेरे नाम को
पुकारती है ।
‌ इन रंग बिरंगी चिड़ियाओं
और पक्षियों के मोहक अदाएं उड़ने के
अंदाज और इनके देखने निरखने परखने
के तरीके बरबस अपनी तरफ़ खींच लेते
मोह लेते हैं मेरे फुर्सत के क्षणों में सुबह
पांच, से नौ बजे के बीच और शाम चार से
छह बजे के बीच मुझे इनके कलरव को
सुनने पर विशेष आनंद महसूस होता है
जाहिर है कि पेड़ पौधों के बिना इनके
दिखने की स्थिति मिट सी जाती है
अगर आप में इच्छा शक्ति हो तो इनका
अध्ययन कर इन्हें अपना मित्र भी बना
सकते हैं और निस्संदेह इन्हें अपना बनाने पर आपके अंदर आप से आप आनंद की इक
धारा सी प्रवाहित होती नजर आएंगी ।


© सुशील पवार