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सपूत कौन....?
एक वृद्ध महिला गांव में रहती थी, उसके पति का देहांत हो गया था।... उस महिला के तीन बेटे थे, जिनमे से बड़ा बेटा डॉक्टर और मंझला बेटा इंजीनियर बन गया... और छोटे बेटे की पढ़ाई में रुचि नहीं थी तो उसने पढ़ाई छोड़ दी थी, तो वह बकरी चराता था और अपनी माँ के साथ घर ही रहता था।

दिवाली का समय था महिला पास के हैण्डपम्प पर पानी भरने के लिए गई हुई थी, तभी एक बड़ी सी कार पास आ कर रुकती है और उसमे से आवाज आती है... मम्मी, मैं आ गया
महिला ने मुड़कर उधर देखा तो वह उसका बड़ा बेटा था, जो डॉक्टर बन गया था... वह अपने बीवी, बच्चों के साथ आया था
औरत ने उनसे कहा कि :बेटा घर चलो, मैं पानी लेकर आती हूं।

महिला हैण्डपम्प से पानी भर ही रही थी इतने में उसके मंझले बेटे की गाड़ी आ रुकती है, वह अपनी गाड़ी के शीशे नीचे करते हुए बोलता है कि - माँ... मैं आ गया....
इस पर भी वह औरत बोली कि तुम घर चलो बेटा मैं पानी लेकर आती हूं....

वह महिला अपनी मटकी और बाल्टी भर कर जैसे ही उठाने लगी, उतने में उसका छोटा बेटा आ गया, जो बकरियां चराने गया था.... उसने देखा कि उसकी माँ पानी लेके जा रही है तो उसने दौड़ के उसके हाथ से मटकी और बाल्टी लेते हुए बोलता है कि :-
अरे माँ!... तुम क्यों परेशान हो रही हो, लाओ मैं ले चलता हूं पानी।

उस औरत की आँखे भर आती है... लेकिन ये एक संतुष्टि के आँसू थे, जो बेवजह नहीं थे।

कहानी को पढ़ कर कृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें, धन्यवाद 🙏

चेतन घणावत स.मा.
साखी साहित्यिक मंच, राजस्थान
© Mchet143