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डायरी के पन्नो से
प्रिय डायरी,,

कैसी हो तुम, लोग कहते है बेजान हो तुम, तुम्हारें अंदर ह्रदय नहीं है। चलो अच्छा ही है, जो तुम बेजान हो कम से कम तुम इस जिंदिगी की हक़ीक़त से अनजान भी तो हो, कम से कम तुम्हें तो नहीं चखना पड़ता इस ज़हलत-ऐ-जिंदगी का फलसफ़ा। जहाँ अकेलेपन से ज्यादा महफ़िले काटती हो। हर अपने में जहाँ बैठा दिखता हो अजनबी, हर चेहरे में नज़र आती हो साजिशे। और पता है जब बात दुःख की हो तब कहा जाता है कि ईश्वर एक रास्ता बंद करने से पहले दूसरा रास्ता खोल चुका होता है। पर क्या तुम जानती हो जब ईश्वर कोई रास्ता नहीं खोलता है, तब वो बचने का भी हर रास्ता बंद कर देता है ऐसा नहीं है कि दुःखी व्यक्ति सहनशील होता है, कई दफा उसके पास दुःख सहने के आलावा और कोई विकल्प ही नहीं होता।

खैर, इस बज़्में-दुनिया में और भी बहुत कुछ है। अथाह आसमान, हरे हरे पेड़ जो रात की कालिमा में गहरा जाते है। और उनपर बैठे सफेद बगुले मोती से चमकते है। उनकी चहचहाहट, उन्हें खेलते, दिन भर अपनी माँ का इंतजार करते, फिर शाम को उन्हें देखते ही खुशी से नाचते हुए देखना, डूबते सूरज और तारों के आलावा इस दुनिया की सबसे खूबसूरत अनुभूति में से एक है, जो जीवन की पीड़ा को दूर तो नहीं कर सकते लेकिन कुछ वक़्त के लिए भुला जरूर देते है, जैसे कि तुम, भले ही मेरी तकलीफों को दूर न कर पाती हो लेकिन, सुनकर मुझें हल्का कर देती हो।


तुम्हारी सहेली
मीनू 🙂
© ©meenu🌸