...

16 views

एक विचार सीधा सा
पृथ्वीराज चौहान की समझ को क्या हो गया था जो
उसके राज्य को आग लगाने वाले को बार बार छोड़ देता था वह तो वह क्या उसके विज्ञ सभासदों में से किसी के पास भी विचार विमर्श की क्षमता भी नहीं थी कि राजा को उचित राह पर चलने का सुझाव
दे सकते थे
आप हम जैसे साधारण लोग भी जब अच्छा बुरा का निर्णय कर सकते हैं तो ऐसे नासमझ लोगों को क्या कहा जा सकता है कि सदा दिन रहे न एक समाना कि उक्ति को भी नही जानते थे
सदा से हारे हुए नालायक शासकों को दण्ड ही देना नियम है राजपथ के राह पर उगते कांटों की समय पर ही सफाई कर देना ही उचित होता है मूर्खतापूर्ण आचरण भविष्य में घर राज्य जनता सब ही को तबाह कर देता है
सोचने की बात तो यही थी कि एक मूर्ख से खिलवाड़ हमेशा ही अपमान का कारण बन जाता है किंतु इतिहास से अगर आप कुछ निर्णय निकालना चाहतें हों तब तो उपर्युक्त बातों को गहराई से मनन करने की जरूरत है न कि मजाक समझने की..
मूर्खो के हाथ में देश की जनता जब जब बागडोर छोड़ेगी निःसंदेह देश और जनता दोनों ही गर्क हो जाएंगे ....
कहानियां इसी तरह बनती है लोग इनसे कुछ सिखना नहीं चाहते सिर्फ एक मनोविनोद समझ भुल जाना चाहते हैं किन्तु कहानियां हमें बहुत कुछ देने को तत्पर हैं ऐसी भुलें जो कभी देश के सताधारीयों ने की
थी हमें रोकने का सोचने का निर्णय करने का अवसर देती है
तो क्या हममें कुछ ऐसा कर गुजरने का हौसला जागा या कि नहीं ।

© सुशील पवार