...

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अस्तित्वविहीन
तेरा होना ही ,
इस जग मैं मेरे होने का प्रमाण है ,तू अस्तित्व है, मेरा स्थायीत्व है,आधारशिला है,तू भावुक है ,सरल सुलझा हुआ है, किंतु समझ ज़माने की राजनितिक चालो को ,विचार कर खुद का श्रृंगार कर मेरे स्नेहिल शब्दो से ,खुद को सौंप कर बाँध ले मेरे बाजुओं मैं ,आँखे मूँद कर निश्चिंत होकर सो जा सागर की बाहो मैं फिर जो सागर की लहरों मैं गोते खाने का सुखद आनंद मिलेगा वो कल्पनाओ से सेंकडो मिल दूर होगा ,ओर तू अपने जीवन का हर एक लम्हा जी पायेगा ....


हवा के रुख के विरुद्ध बहता हुआ
तुम्हारा सिर्फ तुम्हारा
सागर