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धर्म क्या है?
अक्सर हम सभी सुनते देखते होंगे कि धर्म परिवर्तन कर लिया या करवा दिया। इस तरह का घटना सहज तो नहीं हो सकता है न।जरा सोचिए विचार कीजिए ।

ऐसा क्या होता है?जो हम अपने धर्म से मुंह मोड़ लेते हैं।
ऐसा क्यों होता है?आइए जरा समझने की कोशिश करते हैं। सबसे पहले धर्म क्या है?उस पर प्रकाश डालते है।
क्या आप मानते हैं साड़ी चुनरी श्रृंगार दीप दान रंगोली चढ़ावे में एवं नाना प्रकार के व्यंजन पशु बलि अपने हैसियत के अनुसार भोग लगाना ही धर्म है। क्या आप मानते हैं सड़कों पर जुलूस निकालना झंडा लगाना और नारा लगाना अपने आराध्य के नाम पर करना ही धर्म है
उनके जीवन कथा का गीत गाना और अपनी मनोकामना फुर्ती हेतु ही प्रार्थना करना ही धर्म है।

जरा विचार करके देखिए। अगर इससे भी सस्ता मनोरंजन वाला धर्म हमें मिल जाए तो इसे क्यों इस जटिलता से पकड़ के रखेगा भला कोई। क्या अंतर है हमारे धर्म में और दूसरे धर्म में। साड़ी चुनरी के जगह पर चादर वे लोग चढ़ाते हैं दीप के जगह पर अगरबत्ती और मोमबत्ती जलाते हैं फर्क तो कोई खास नहीं है। नए-नए कपड़ों का पहनना पटाखे फोड़ना और डीजे बजाना तो प्रायः जो सभी धर्मों में पाए जाते हैं।
इसका पाश्चात्य संस्कृति जन्म दिन मानना सबसे बेस्ट उदाहरण है। सबसे सस्ता मनोरंजन हो जाता है न हमारा।

जरा समझकर देखिए यह सब क्रिया कलाप ही सही है तो धर्मग्रंथों की रचना क्यों कि गई हैं ?

मुझे तो कोई खास अंतर नहीं दिखता आप बताइए आपको क्या दिखता है? अगर नहीं तो फिर धर्म को लेकर के ego कैसा?
अब आप कहेगें सिर्फ़ यही थोड़े है हमारे धर्म में रिश्तों की भी पुजा करते हैं। माता-पिता का सेवा संस्कार , रिश्तो में मर्यादा और घर परिवार संभाल के रखते हैं।

माता-पिता, बच्चो ,पति-पत्नी ,समाज में अगर ना बनती हो तो दुखी मन या आत्मा जो कहिये वो दुसरे गैरों में खुशी तो ढुंढेगा न। परिणाम फिर वही, वहां भी वही कहानी और दुश्वारियां।अगर ना मिले तो जीवन घुटन सी हो जाती है।ऐसे में आत्म हत्या का ख्याल आएगा न। फिर ऐसे में धर्म कहां रहता है ?क्या यह धर्म हमें ग़लत क़दम उठाने से रोकेगा ?नहीं न।
क्या यह धर्म रिश्तो में मधुरता बनाए रखेगा। क्या यह समाज को नई दिशा दे पाएगा। मेरे ख्याल से नहीं।

असल में हमें कभी धर्म क्या है बताया ही नहीं गया है। जब जो घटना घटी उस आग में परंपरा की तौर पर हम निभाते आ रहे हैं। बिना सच्चाई जाने बिना सोचे-समझे। जिसने जो बताया बिना सवाल किए हम अब तक करते आ रहे हैं।
पाखंडी पंडितों और यूट्यूब में बताए जाने वाले पुजा विधि से बचें।
है अगर सनातन धर्म से प्रेम तो धर्मग्रंथों को जरूर पढ़ें और समझें। स्वयं की समझ से आगे बढ़े और निर्णय लै।



© Sunita barnwal