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शीर्षक - नारी उठो।
शीर्षक - नारी उठो।
नारी उठो क़दम बढ़ा चले चलो।
अपने सपनों को स्वयं गढ़े चलो।
वेदना की सीढ़ी से उतरकर अब,
लगाकर पर सपनों में उड़े चलो।
नारी उठो क़दम बढ़ा चले चलो।
देखो दिशाएँ यह बहती हवाएँ।
कँधे से कंधा मिला उतरे चलो।
चीरों बादलों को छानो आकाश,
समस्त ऊंचाइयों पर चढ़े चलो।
नारी उठो क़दम बढ़ा चले चलो।
अवला नहीं न कोई कष्ट सहना,
जीवन जीने की आस भरे चलो।
करो सामना डर का बनो निडर,
अपने पैरों पर होकर खड़े चलो।
नारी उठो क़दम बढ़ा चले चलो।
फ़ूल हो तुम तुम्हें ही काँटा बनना,
स्वयं की सुरक्षा स्वयं करे चलो।
हर राह तुम्हारा तुम भी पथिक,
जाना जाओ जहाँ जिस पते चलो।
नारी उठो क़दम बढ़ा चले चलो।
शक्ति करती वास सदा से तुममें,
हौसला जगा आँखों को मले चलो।
नहीं कुचलना अब होगा चलना,
सपनों को और भी कर बड़े चलो।
नारी उठो क़दम बढ़ा चले चलो।
#नारी
#नारीशक्ति
©Musickingrk
नारी उठो क़दम बढ़ा चले चलो।
अपने सपनों को स्वयं गढ़े चलो।
वेदना की सीढ़ी से उतरकर अब,
लगाकर पर सपनों में उड़े चलो।
नारी उठो क़दम बढ़ा चले चलो।
देखो दिशाएँ यह बहती हवाएँ।
कँधे से कंधा मिला उतरे चलो।
चीरों बादलों को छानो आकाश,
समस्त ऊंचाइयों पर चढ़े चलो।
नारी उठो क़दम बढ़ा चले चलो।
अवला नहीं न कोई कष्ट सहना,
जीवन जीने की आस भरे चलो।
करो सामना डर का बनो निडर,
अपने पैरों पर होकर खड़े चलो।
नारी उठो क़दम बढ़ा चले चलो।
फ़ूल हो तुम तुम्हें ही काँटा बनना,
स्वयं की सुरक्षा स्वयं करे चलो।
हर राह तुम्हारा तुम भी पथिक,
जाना जाओ जहाँ जिस पते चलो।
नारी उठो क़दम बढ़ा चले चलो।
शक्ति करती वास सदा से तुममें,
हौसला जगा आँखों को मले चलो।
नहीं कुचलना अब होगा चलना,
सपनों को और भी कर बड़े चलो।
नारी उठो क़दम बढ़ा चले चलो।
#नारी
#नारीशक्ति
©Musickingrk
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