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गगन दिल धड़का
// #गगन_दिल_धड़का //

धड़क - धड़क गगन का दिल धड़का,
उमड़- घुमड़ नभ ह्रदय बदरी की हर्षा;
छमा छम निर्मल शीतल जल की वर्षा,
अवनि आंचल पे इंद्रधनुषी रंग बरसा।

कण- कण धरा तरुण अंकुर कुसुमित,
डाल डाल तरु तन नव कली पुलकित;
उपवन सुगंधित सुंदर सुमन प्रफुल्लित,
हम - तुम तरुवर निर्मल छाया विस्मृत।

झर- झर धरती नयन झरने स्नेह झरा,
चहुं दिशा जग सारा प्रेम से हरा- भरा;
देख देवलोक से सुर मन आवन तरसा,
धड़क - धड़क गगन का दिल धड़का।

अवनि- अंबर का मधुर मिलन दृश्यम,
एक- दूजे को बांध रहे नीर धागे रेशम;
पुनः प्रणय - प्रेम का फैराया परचम,
सदियों प्रेम सूत्र में बंधे रहने में सक्षम।

दोनों के बीच में भौतिक दूरियां अनंत,
मगर पल नहीं टूटा नयन मिलन तंत;
अंबर- अवनि प्रेम खिलें सावन बसंत,
अविरल प्राकृतिक रमीणयप्रेम अनंत।


© Nik 🍁