...

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जाने दो...
#जाने _दो।
जाने दो जो चला गया,
मृगछालों से जो ठगा गया।
बेवक्त जो वक्ता बना गया,
कलम थमा के चला गया।।

भूतकाल था चला गया,
वर्तमान को अपना बना गया।
भविष्यकाल जो आएगा,
द्वन्द उससे भी पल जाएगा ।।

अजी फिर संकट जब आएगा,
संघर्षों से द्वन्द पल जायेगा।
भिड़ जायूँगा मैं उस वीर सम,
कौरवों के बीच लड़ा अभिमन्यु बन।।

मैं तप करूंगा तपस्वी बन,
तपा दूंगा सम्पूर्ण अंतर्मन।
फिर ना कोई छल पायेगा,
मृगनयन भी ना ठग पायेगा।।

संकटों के ताप से जो है तपा,
जग में उसने इतिहास रचा।
बन साधक जिसने एक लक्ष्य रखा,
वो तेज पुंज अलौकिक सा चमका।।



© Mr. Busy