...

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यादों को समेट कर रखा है
यादों को समेटकर रखा है
तभी तो बाबुल की गलियों को
आज भी याद किया है

तस्वीरों के जरिये महसूस इन्हें किया है
खुद से कम इन तस्वीरों को
बोलने के लिए हमने मजबूर किया है
बेजुबाँ हैं तो क्या हुआ
बात तो सब समझती हैं
इन तस्वीरों से ही तो
अपनी कामयाबी का आशीर्वाद हमने
प्राप्त किया है
यादों को समेटकर रखा है

बातें करने के लिए
ये तस्वीर ही तो रह गई हैं
जो आपकी हमारी दास्ताँ सुनाती दिख रही
कुछ तो था जो आप हमसे जाते जाते
कहना चाहते थे
लेकिन आपने बात ही ऐसी कर दी
जिसके कारण आपकी हमारी
बात अधूरी रह गई
कौन सी बेटी होगी जो अपने बाबुल से
बाबुल के मुख से बुरी खबर सुनना चाहेगी
पता क्या था आपकी बात सत्य हो
सामने आएगी
आज भी पछताते हैं काश दो घड़ी
आपके पास और बिता लेते
अब तो ये आलम है
इन तस्वीरों से ही बतियाते रहते हैं
बतियाते बतियाते जब थक जाते हैं
तब लगता है जैसेआप कह रहे हो
कितना बक्क बक्क करती हो
आज भी तुम वैसी की वैसी हो
तुम आज भी मुझे बहुत याद करती हो
तब ऐसे लगता है
आप हमारी बातें सुन हँस रहे हो
हँसते हुए आपको देख
जैसे खज़ाना सा मिल जाता है
मायके जाना नहीं पड़ता
खुद मायका चल हमारे पास आ जाता है
यादों को समेटकर रखा है
तभी तो ये दिन नसीब हुआ है
तभी तो ये दिन नसीब हुआ है
© Manju Pandey Choubey