23 views
तुम बिन
कितनी बातें करती हूं तुमसे
फिर भी कितनी बाकी रह जाती हैं
सब कुछ कह देती हूं तुमसे
फिर भी कुछ अनकहा रह जाता है
खिलौने से जैसे नहीं भरता मन बच्चों का
तुम से मिल कर मन मेरा भी नहीं भरता है
तुम्हारे साथ होती हूं तो वक्त पंख लगा उड़ जाता है
तुमसे दूर रह कर वक्त काटे नहीं कटता है
तुम से ही सब रास्ते निकलते हैं
तुम पर ही हर पड़ाव रुकता है
मन मेरा मनचला सा,
तुम्हारे बिन अब कहीं नहीं लगता है।
© Geeta Dhulia
फिर भी कितनी बाकी रह जाती हैं
सब कुछ कह देती हूं तुमसे
फिर भी कुछ अनकहा रह जाता है
खिलौने से जैसे नहीं भरता मन बच्चों का
तुम से मिल कर मन मेरा भी नहीं भरता है
तुम्हारे साथ होती हूं तो वक्त पंख लगा उड़ जाता है
तुमसे दूर रह कर वक्त काटे नहीं कटता है
तुम से ही सब रास्ते निकलते हैं
तुम पर ही हर पड़ाव रुकता है
मन मेरा मनचला सा,
तुम्हारे बिन अब कहीं नहीं लगता है।
© Geeta Dhulia
Related Stories
39 Likes
34
Comments
39 Likes
34
Comments