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शीर्षक - सम्मान चाहिए।
शीर्षक - सम्मान चाहिए।

गिरी नज़रों से देखते लोग,
हमें हमारा सम्मान चाहिए।
क्यूँ होता हमारे साथ ऐसा,
चरित्र का प्रमाण चाहिए।

घर में बेकार बाहर आवारा,
हमें एक पहचान चाहिए।
हर तरफ़ से दबाए जा रहे,
हमें भी तो उड़ान चाहिए।

जहाँ कहीं देखो इन्हें पढ़ाओ,
हमें भी उसमे स्थान चाहिए।
हम पेट से सीख के थोड़े आते,
हमें भी तो यहाँ ज्ञान चाहिए।

बेवज़ह लगा देता कोई थप्पड़,
हक़ हमें भी संविधान चाहिए।
हमारे दर्दों को कोई नहीं भाँपता,
हमें भी सुनाने को कान चाहिए।

हाँ माना कुछ लोग ग़लत हैं,
क्या मान लेना सबको शैतान चाहिए।
अगर ऐसा ही चलता रहा यहाँ,
तो हमें नहीं जन्म हे भगवान चाहिए।

©Musickingrk