...

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तुम
हमें नहीं आती शायरी करनी,
तुम हो पास तो पूरी गजल लिख ले।
सर्दी की ठिठुरन में अलाव हो तुम,
गर्मी की लू में प्यास हो तुम।
मौसम तो बदलते रहते हैं,
ना बदले वो आस हो तुम।
बरसात की रिमझिम बारिश हो तुम,
कैसे कहूं तुमसे बहुत खास हो तुम।
पतझड़ में सूखे पत्तों की आग हो तुम,
जो ना बुझे हो प्यास हो तुम।
बसंत की सुंदर फूल हो तुम,
मेरा तो सारा जहां हो तुम।
औंस की चमकती बूंद हो तुम,
मेरी हर धड़कन की धड़क हो तुम।
© Anu