...

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शान
माना एहमियत नहीं तेरी नज़रों में,
पर हम खुद अपना मान रखते हैं.
नमी ही नमी क्यों न हो आंखों में,
सदा हम होंठों पर मुस्कान रखते हैं.
मुझे न देख तू यूं अमीरी निगाह से,
गरीब सही हम अपनी शान रखते हैं.