...

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खुद की तलाश
बरसो से इस दुनिया की महफिलों में ढूंढ रहा था
और अब तक खोज रहा हु में
बरसो से इस दुनिया की महफिलों में ढूंढ रहा था
और अब तक खोज रहा हु में
फर्क बस इतना ही की पहले औरों को ढूंढ रहा था मे
और अब खुद को खोज रहा हु में
और अब जब वाकिफ हुआ इस दुनिया की उसूलों से तो अब ये सोच रहा हु में ।
दूसरो को तो बड़ी आसानी से ढूंढ लेता था पर अब कही मिल ही नहीं रहा हु में ।
© kash.gopal