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बुझा चिराग
क्यों बुझा चिराग चमन का,हैं किसने आग लगाई ?
शोर मचा हैं चारों ओर पर कुछ देता ना दिखाई,
लोग हो गए गूंगे बहरे हैं,
जो बचे उनपर भी पहरे हैं,
अपने लालच,स्वार्थ के लिए वतन की साख गिराई,
क्यों बुझा चिराग चमन का,हैं किसने आग लगाई ?
हर फूल मुरझाया,पत्ता तक सूख गया,
बहार ख़िज़ां हुई,हवा का उल्टा रुख हुआ,
उजाड़ना ही था गुलिस्तां को जब माली ने ज़हर फैलाई,
क्यों बुझा चिराग चमन का,हैं किसने आग लगाई ?
संस्कृति बचाने वाले संस्कार बचा ना पाये,
होते किसी ज़ुल्म पर आवाज़ उठा ना पाये,
लगाते रहे बस नारे,पर ना इज़्ज़त बेटियों की बचाई,
क्यों बुझा चिराग चमन का,हैं किसने आग लगाई ?
कुछ ही फले फूले,बाकियों का तेल निकाला,
हवा हुई गरीबी देखकर तरक्की का उजाला,
पर करके अंधेरा चारों ओर चौकीदार ने लूट मचाई,
क्यों बुझा चिराग चमन का,हैं किसने आग लगाई ?
बिना तोड़े आपस में कितना हैं बिखरे,
अकल से खाली पर चेहरे हैं निखरे,
धर्म का नशा चटाकर लोगों को नफ़रत की तलवार पकड़ाई,
क्यों बुझा चिराग चमन का,हैं किसने आग लगाई ?
शोर मचा हैं चारों ओर पर कुछ देता ना दिखाई।
© taj
शोर मचा हैं चारों ओर पर कुछ देता ना दिखाई,
लोग हो गए गूंगे बहरे हैं,
जो बचे उनपर भी पहरे हैं,
अपने लालच,स्वार्थ के लिए वतन की साख गिराई,
क्यों बुझा चिराग चमन का,हैं किसने आग लगाई ?
हर फूल मुरझाया,पत्ता तक सूख गया,
बहार ख़िज़ां हुई,हवा का उल्टा रुख हुआ,
उजाड़ना ही था गुलिस्तां को जब माली ने ज़हर फैलाई,
क्यों बुझा चिराग चमन का,हैं किसने आग लगाई ?
संस्कृति बचाने वाले संस्कार बचा ना पाये,
होते किसी ज़ुल्म पर आवाज़ उठा ना पाये,
लगाते रहे बस नारे,पर ना इज़्ज़त बेटियों की बचाई,
क्यों बुझा चिराग चमन का,हैं किसने आग लगाई ?
कुछ ही फले फूले,बाकियों का तेल निकाला,
हवा हुई गरीबी देखकर तरक्की का उजाला,
पर करके अंधेरा चारों ओर चौकीदार ने लूट मचाई,
क्यों बुझा चिराग चमन का,हैं किसने आग लगाई ?
बिना तोड़े आपस में कितना हैं बिखरे,
अकल से खाली पर चेहरे हैं निखरे,
धर्म का नशा चटाकर लोगों को नफ़रत की तलवार पकड़ाई,
क्यों बुझा चिराग चमन का,हैं किसने आग लगाई ?
शोर मचा हैं चारों ओर पर कुछ देता ना दिखाई।
© taj
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