...

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तरस खा रही हो
तरस खा रही हो अब
जो थी पहले
जो अब नहीं हो
मेरा हाल
मैं ही जानती हूं
अब नहीं कहती हो किसी से अपना
बस पूछता कोई हैं ठीक कह देती हूं
अब बेकार का समय भी नहीं करती हों
किसी का बारवार्ड
जो जिसे जब जैसे बात करना है वैसे कर लेटी हो
मेरे पास आकर खड़ी हुई मेरी तन्हाई गले लगाएं साथ हैं
अच्छा लगता हैं


बबिता कुमारी
© story writing