...

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लफ्जों मैं
लफ्जों मैं कैसे लिख दूं तुम्हे
तुम स्नेहतरू सर्वव्याप्त हो
मन के हर
कोने में
झंकृत मीठा साज हो
आंखे बंद तो हृदय में
नयन खुले तो पूरे आंगन में
कही लुकाछिपी
कहीं स्नेहस्पर्श
मेरे जीवन के हर कोलाहल मैं
तुम हर कृति में ईश की रचना मैं
लफ्जों मैं कैसे लिख दूं तुम्हे