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प्रकृति का अनोखा रूप
प्रकृति का है अनोखा रूप, कभी
कहीं पानी बरसता है तो कहीं
नदियां बहती हैं, कहीं समुद्र उफान
पर हैं तो कहीं शांत सरोवर है।
कभी हवाएं तीव्र वेग से बहती हैं,
तो कभी मौन हो जाती हैं।
कभी आसमान नीला दिखाई देता है,
तो कभी काले बादलों से घिर जाता है,
तेज गर्जना के साथ बरसात होती है,
तो कभी रिमझिम रिमझिम जिससे
मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू प्रकृति में बिखर जाती है।।
कभी सूरज रोशनी से जग को रोशन करता है,
तो कभी अंधेरी रात में चांद सितारे टिमटिमाते हैं।
बसंत में धरा हरियाली की चादर ओढ़ लेती है,
तो कभी सूखी धरा धूल उड़ाती है।
कहीं सूरज एक कोने में अस्त होता है,
तो कहीं से उदित होकर उजियारा फैलाता है।।
Rk kundra ❤️
कहीं पानी बरसता है तो कहीं
नदियां बहती हैं, कहीं समुद्र उफान
पर हैं तो कहीं शांत सरोवर है।
कभी हवाएं तीव्र वेग से बहती हैं,
तो कभी मौन हो जाती हैं।
कभी आसमान नीला दिखाई देता है,
तो कभी काले बादलों से घिर जाता है,
तेज गर्जना के साथ बरसात होती है,
तो कभी रिमझिम रिमझिम जिससे
मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू प्रकृति में बिखर जाती है।।
कभी सूरज रोशनी से जग को रोशन करता है,
तो कभी अंधेरी रात में चांद सितारे टिमटिमाते हैं।
बसंत में धरा हरियाली की चादर ओढ़ लेती है,
तो कभी सूखी धरा धूल उड़ाती है।
कहीं सूरज एक कोने में अस्त होता है,
तो कहीं से उदित होकर उजियारा फैलाता है।।
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