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// #चितवन_सुख_चैन //

जब चितवन में हो सुख- चैन,
किलकारियां गूंजती है अयन;
खुले पंख चंद्र छूने को बेचैन,
निर्मल नीर भये दो मृग नयन।

पवन- पावनी आवत- जावत,
मधुर गीत सुर- संगीत गावत;
मृदुल स्पंदन पीड हर ले जात,
नित मन की कथा उसे सुनात।

ह्रदय हालात गुन्जन मधुकर,
सुख सुंदर भाव छाये मुखपर;
चंचल भये पैर पग - पग पर,
मन पंछी चहकें चित डालपर।