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मेरा भाई एक परिंदा
गहनता ने लीन ,वो जो सोचता है ,तो मानो विचारो कि गंगा में वह जाता है ।
तूफानों जैसे अजीब ख्याल मन में उठते है ।
तो कभी समुद्र कि बवंडर तो कभी ज्वालामुखी जैसे विस्फोटक ,विद्वंशकरी विचारो से उसका मन अशांत हो उठता है ।
हा , अशांती तो थी पर एक पल कि ,।
पालक झपकते ही वह खुद को खुश कर देता ।
जैसे सूरज की पहली किरण देखकर सूरजमुखी का फूल मुस्कुरा उठा हो ।
पर उस फूल कि ,कुछ ऐसी हुई व्यथिताए।
उम्र बहुत ही कम उड़ान भरा जीवन कक्षा 11मै
अजीब दुर्घटना कर्म का चक्र ऐसा , सभी काम छूट गए ,पर उस दुर्घटना ने उसे पकड़ लिया ।
चोट भी लगी दर्द भी हुआ ,अब ये हैं उसकी दासता वो बदनाम भी हुआ ।
समझदारी ऐसी कि अच्छे ,अच्छे भी मत खा जाए ।
इसी तरह दिन गुजरे ,ओर कुछ समय पश्चात ,नंबर सराखो का था ।
पहुंचा वहां ,जहा का कुछ लोग शौक समझते है ।
ओर कुछ डरते है ।
घबराहट के को10 दिन वो यू जी के आया जैसे
मित्रो के साथ कुल्लू मनाली का पिकनिक ,।
पर खा वो तो उसके जीवन के वो दिन थे ,।
जिन्हे वो शायद कभी नहीं भुला सकता ।
अब तूफानी जीवन के कुछ नए ख्वाबों कि ,नई हवा में उड़ने लगा है ।
ओर पक्षियों कि तरह स्वतंत्र पर ,था भी नहीं थी उसकी मंजिल ।
ओर अब क्या ,उलझे विचारो को सुलझा रहा है ,,।
वो जीवन कि पहेलियो को बुझा रहा है ।
उस नहीं पता खा है उसकी किस्मत ,अभी तो एक तलशियो कि तरह ,तलाश रहा है किस्मत ,कि कहीं मिली ,तो पूछ लूं ,कि खा है को ,, ....
© Rukmani pandey