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अद्भुत ज्ञान लेना हो तो शरण में आइए!😜😁
दुख, अथाह दुख का अहसास कब होता है?! कब ऐसा महसूस होता है कि अब भावनाएं संभाली नहीं जाएंगी और आंखों से आंसू टपाटप-टपाटप गिरने लगेंगे। चाहे फिर बाल्टियां भर लो। भरे हुए पानी से चाहे नहा लो। कपड़े धो लो। होली खेल लो।😜😁

आज आपको बुद्ध भगवान के ज्ञान से भी विस्तृत ज्ञान प्राप्त होने जा रहा है। इसलिए अपना बड़ा सा टोकरा मज़बूती से पकड़ लीजिए। कहीं ऐसा न हो कि यह महान‌ ज्ञान आप संभाल ही न पाएं और जीवन भर हताशा में रहे। 😜😁

अपनी धड़कने और दिल थाम कर बैठिए। अपने आपको सौभाग्यशाली समझिए कि 84 लाख योनियां भुगतने के पश्चात् आज आपको वो जन्म मिला जब अथाह दुख के पीछे छिपे महान‌ सत्य रूपी ज्ञान का खजाना आप पर लुटाया जाने वाला है।😜😁

कभी आपने अनुभव किया कि मई महीने की चिलचिलाती धूप में आपने पसंदीदा कुल्फी खरीदी हो और ज्यों ही जीभ लपलपाते हुए दांत मारा कि संपूर्ण कुल्फी धरा पर आ गिरी हो मानो बजरंगी भाईजान ने धोबी पछाड़ लगा दिया हो।और आप मुड़कर देखने लगे तो कुल्फी वाला भईया जा चुका हो।अथाह दुख, असीमित दुख:!😜😁

शाम की छोटी भूख बड़ी भूख बन गई हो। गरमा गरम चाय का प्याला हाथ में हो और आपका पसंदीदा एकमात्र बड़ा वाला बिस्कुट चाय में डूबकर ज्यादा ही निहाल हो जाए और डूब जाए तो मन में जो दुःख का भाव जागृत होता है, वही कहलाता है— अथाह दु:ख, असीमित दु:ख!😜😁

घर में आप अकेले हों।आपकी पाक-कला एकमात्र मैगी बनाने तक ही सीमित हो। रात को 12 बजे बहुत भूख लगे और घर में मन पसन्द मैगी का एकमात्र पैकेट बचा हो। मैगी बनाने के पश्चात जब आपकी जीभ से पानी टपक रहा हो और जब आप पहला चम्मच चखें तो पता चले कि आपने बेचारी एक मैगी में तीन बार नमक डाल दिया है।न खा सकते, न फेंक सकते, न कुछ बना सकते।
बस, यही है—अथाह दु:ख, असीमित दु:ख!😜😁

फ़िज़ूल टाइप के इस हास्य पर रोना आ रहा हो तो‌ ज़ोर ज़ोर से ज़ार-ज़ार रो लीजिए। बाल्टियां भी मंगवा लीजिए। नहा लीजिए। कपड़े धो लीजिए। कुछ समझ न आए तो पेपर वेट उठाइए और हमारी खोपड़ी समझते हुए अपने घर की खिड़की पर दे मारिए या फिर अपना मोबाइल ही शीशे पर दे मारिए। शीशा टूटने से जो भाव उपजेगा वही कहलाएगा— अथाह दुःख!😜😁

शीशा टूटने के बाद हमारी तरफ़ से मोर्चा आपकी माताजी या पिताजी संभाल लेंगे। और जो ज्ञान आप पर नुमाया होगा, वो आप जीवन भर नहीं भूलेंगे। जीवन भर ...न- न... सात जन्म नहीं भूलेंगे। हमारा क्या, हमने कौन सा अपना address आपको दिया है? और यदि हमें खोजने और स्नेह (समझ रहे हैं न?) जताने की बहुत अधिक कोशिश की तो हम हिमालय की ओर कूच कर जाएंगे— एक नए सत्य की खोज में। चलते चलते बता दें कि हमें किसी शिष्य की आवश्यकता नहीं। घर में ही रहिए। हमारा पीछा करने की आवश्यकता नहीं।
समझे?!😜😜😁😁

— Vijay Kumar
© Truly Chambyal