...

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bold strokes of a confident hand
मेरे नसीब में जो रिश्ते हैं, वो रिश्ते हैं
जिनमें कि गांठ है, छोटी सी या बहुत बड़ी,
कुछ वक्त ने बना दी, कुछ हालात ने,
कुछ मैंने भी कोशिश नहीं की उन गांठों को खोलने की,
वो क्या रब्त निभाना, की जो सिर्फ आपको ही निभाना,
साथी को अखरता ही नहीं हो साथी का मिट जाना,
और फिर वो निभाएं भी क्यों, जब उन्हें भाता ही नहीं तुम्हारा जिंदगी में आना,
सीधी सी बात है वो मुझे नहीं चाहते, और मैं उसके लिए दीवाना
तो दिल को समझा लूं कि ये खता नहीं है उसकी मिट जाता ये पछताना
क्यों ये भी हो कि वो मुझे ही चाहे, क्यों नहीं चाहिए उसे कहीं और दिल लगाना
इस लिए आज मैंने समझा है महोब्बत का फसाना
कि जो ये दिल उस पर मरता है, उसका भी किसी से महोब्बत करता है,
तो फिर ये तय रहा या तो ये रिश्ता नहीं, गर है सिर्फ मेरे पास, कैसा पछताना
हर किसी को उस एक कलम ने लिखा है, उन्हीं लफ्ज़ों में बखान,
मेरी उसमें और उसकी किसी और में जान,
किसी ने कहा भी है महोब्बत करने के लिए है, पाने की नहीं
ये आपका फैसला हो, बात जमाने की नहीं
गर जी सको महोब्बत को तो जिओ, दिल भर जाएगा
गर चाहोगे पाना हाथ में नफरत का दाग आएगा
या फिर तोड़ दो अपना दिल मिटा दो उसकी महोब्बत,
फिर ना दिल तड़पेगा , ना महोब्बत का ख्याल आएगा|