...

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भारत माँ की सेवा में
कितने ही गुमनाम मर गये, भारत माँ की सेवा में
जीवन को बलिदान कर गये, भारत माँ की सेवा में,
अनगिनत, स्त्री-पुरुषों ने, इस महायज्ञ में भाग लिया
सर्वस्व अपना दान कर गये, भारत माँ की सेवा में।

वृक्षों की शाखाओं से जो, फलों के जैसे झूल गये
गंगा-यमुना की धारा में, जिनके शव भी फूल गये
नमन करें हम आज चलो, उन अनजाने मतवालों को
देश के प्रति समर्पित हो, जो, शेष सभी कुछ भूल गये।

आज़ादी का ज़श्न मन रहा, आज गली-चौव्वारों पर
सीना ताने खड़ा है भारत, आज अपने अधिकारों पर,
पर कृतज्ञता उनके प्रति भी, "भूषण", मन में रखनी है
देश के लिये जो भष्म कर गये, देह अपनी अंगारों पर।।