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कर्म : जो बोयेगा वही पायेगा(KARMA ALWAYS BACK)
कर्म ही है ज्योति और कर्म ही आराधना
कर्म ही कारण और कर्म ही परिणाम है
कर्मयोगी बना कर्म से महान है
कर्म के बिना ना शक्ति है ना भक्ति है
कर्म के ना जीवन है ना मुक्ति है,

कर्म ही रुलाता और कर्म ही हसाता
ना करे जो कर्म तू कहां खुश हो पाता है,

कर्म ही पुण्य कराता है
कभी ये पाप बन जाता है
सभी कर्म से उत्पन्न हुए
कर्म से ही विलीन हुए,

कर्म है हर स्वांस में
कर्म है विश्वास में

कर्म से कोई कर्मचारी है तो
कर्म से व्यभिचारी है,

चोर भी कर्म करे और सुनार भी कर्म करे
किसान भी कर्म करे और लोहार भी कर्म करे,

कर्म से ही ज्ञानी तू
और कर्म से ही अज्ञानी है
कर्म से ही कविता है
कर्म से ही कहानी है,

एक दिन कर्म का भी अंत हो जाता है
जब पहाड़ सा शरीर भी जब रेत हो जाता है,

क्रोध भी कर्म है और प्रेम भी कर्म है
हठ भी कर्म है और स्वीकारना भी कर्म है,

मेरी कलम ने भी किया
कविता रच एक कर्म है
सच को जो लिखे सच
वही असली कवि का धर्म है,

परिश्रम करना कर्म है
आंसू बहाना कर्म है
मुस्कुराना कर्म है
दिल लगाना कर्म है
धोखा और छल करना भी कर्म है,

संतुष्ट होना भी कर्म है
मोक्ष पाना भी कर्म है
कर्म ही है मर जाना
जन्म लेना भी कर्म है,

कर्म से ही तय होते आरम्भ और अंत हैं
कर्म से कल्याण है और कर्म से विनाश है
कर्म ना करने से कर्म करना श्रेष्ठ है
मौन होने से अच्छा तो मरना है,

कर तू कर्म ना चिंता कर परिणाम की
चलता रह ना चिंता कर विराम की,

मिलेंगी सारी मंजिलें
कहते हैं वासुदेव पुत्र श्रीकृष्ण

कर्म से ही अंगीठी में धुंआ और प्रकाश है
कर्म से ही विनाश है कर्म से ही है विकास,

कर्म से मिलता सम्मान यहां
और कर्म से ही होता अपमान है,

कर्म से कोई राजा है ,तो कर्म से कोई रंक है
अंधों में काने राजा,उनमें भी ना कोई ढंग है...

© kittu_writes