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मेरे महबूब ❤️
रोता है जब महबूब मेरा
दिल मेरा बेहद दुखता है
निकलूं जब बिना उनके बाहर
खुली हवा में भी दम घुटता है
दूर रहता हूं जब भी उनसे कभी
लम्हा लम्हा मेरा हाथ से छूटता है
कभी आओ करीब मेरे मेरी जां कि
विकास एक बार में कई बार टूटता है
दीदार हो जाए महबूब का इक बार
मेरा ज़र्रा ज़र्रा तब उनसे जुड़ता है..
© विकास - Eternal Soul✍️
दिल मेरा बेहद दुखता है
निकलूं जब बिना उनके बाहर
खुली हवा में भी दम घुटता है
दूर रहता हूं जब भी उनसे कभी
लम्हा लम्हा मेरा हाथ से छूटता है
कभी आओ करीब मेरे मेरी जां कि
विकास एक बार में कई बार टूटता है
दीदार हो जाए महबूब का इक बार
मेरा ज़र्रा ज़र्रा तब उनसे जुड़ता है..
© विकास - Eternal Soul✍️
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