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ए जिंदगी
मत थका ए जिंदगी, मत सता ए जिंदगी
तमाशहीन बनके रहे गए लोगो की नज़रो मे
जिसने हसाया उसी ने रुलाया ए जिंदगी
किसी दर्द को लिखू इतना डूबा रही ए जिंदगी
लावारिश की तरह बैठे हैं किसी एक की याद मे
किसे ढूँढू किसे पूछूं अब तू ही बता ए जिंदगी
बेदर्द बेरंग ये खामोशियाँ, बेपरवहा बे हया ए जिंदगी
कहते जिन्हे बस खामोशीयां, बिन दर्द की दवा ए जिंदगी
ललित शर्मा
© All Rights Reserved
तमाशहीन बनके रहे गए लोगो की नज़रो मे
जिसने हसाया उसी ने रुलाया ए जिंदगी
किसी दर्द को लिखू इतना डूबा रही ए जिंदगी
लावारिश की तरह बैठे हैं किसी एक की याद मे
किसे ढूँढू किसे पूछूं अब तू ही बता ए जिंदगी
बेदर्द बेरंग ये खामोशियाँ, बेपरवहा बे हया ए जिंदगी
कहते जिन्हे बस खामोशीयां, बिन दर्द की दवा ए जिंदगी
ललित शर्मा
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