...

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"दर्द"
कुछ दर्द दिखते नहीं है,मगर
जिस्मों को टीस देते बहुत है!!

कभी यूं भी होता है कि आंखों से अश्क बहते
नहीं है,मगर जिस्म का कतरा कतरा रोता है!!

कुछ ज़ख़्म नुमा नहीं होते,मगर ज़ब्त
रूह के हर कतरे से घाव रिसता है!!

कभी चेहरे पर मुस्कान सजा कर मिलते हैं वो
मगर बंद किवाड़ों के दरमियान अक्सर वो रोते हैं!!


© Deepa🌿💙