...

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हायत....
हायत एक समर है, जिसमे बिना शम्शीर के उजड़ते है।
मद्यपानोत्सव का शोजित बहते है, साध के बली चढ़ते है।
सच कहुँ तो हायत के दस्तूर है ये,
हर दिन।
आत्मीय के इस भीड़ मे हर कोई बिना बाजार के बिकते है
---- अंजलि