...

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तू मेरी है
हमें फिर भी नहीं लगता कि हमारा कसूर था,
दोनों में बेचैनी और एक वह्म भी जरूर था।
टूट जाता है भरम तो हम तुम्हारे साथ होते,
जीवन की हर कठिनाइयों को हम हंसते-हंसते सहते।
फिर भी यह सोच लो यह फैसला तुम्हारा भी होगा,
मिलेंगे फिर कही तो यह दोबारा नहीं होगा ।
किसी भी बात को सोचकर थोड़ा वक्त तो देना,
जीवन की हर पल यही बेकार में मत खोना।
मैं जानता हूं कि थोड़ा सा सरफिरी,
यह मत भूल तू अभी भी मेरी है।
© प्रभु